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राजभाषा
 
          केन्द्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, मैसूर शहतूती रेशम उत्पादन के  अनुसंधान एवं  विकास से जुड़ा एक अग्रणी संस्थान है जो देश में रेशम उद्योग के गुणात्मक एवं मात्रात्मक वृद्धि सहित सर्वांगीण विकास हेतु निरंतर कार्यरत  है | संस्थान न केवल रेशम संवर्धन के विविध पहलुओं पर आवश्यकता अनुरूप अधुनातन अनुसंधान एवं नवीन प्रौद्योगिकी का विकास कर रेशम उद्योग को सुदृढ़ आधार देने के लिए कटिबद्ध है अपितु भारत सरकार की राजभाषा नीति एवं राजभाषा प्रावधानों के कार्यान्वयन में भी महत्वपूर्ण  भूमिका निभा रहा है | परिणामतः संस्थान को अभी हाल में ही वर्ष 2019 के दौरान दक्षिण भारत  के राज्यों में उत्कृष्ट राजभाषा कार्यान्वयन हेतु केरल के महामहिम राज्यपाल के कर- कमलों से राजभाषा विभाग, भारत सरकार का द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ | इसके अलावा श्रेष्ठ राजभाषा कार्यान्वयन हेतु केन्द्रीय रेशम बोर्ड द्वारा प्रदत्त 4 अन्य  विभागीय राजभाषा शील्ड भी प्राप्त हुए |
 
          संस्थान के द्वारा किये जा रहे प्रमुख राजभाषा कार्यों  में राजभाषा हिन्दी का  प्रशासनिक कार्यों में प्रयोग के अलावा वैज्ञानिक/अनुसंधान विषयक कार्य यथा हिन्दी में तकनीकी आलेख/शोध पत्र, तकनीकी साहित्य का हिन्दी में प्रकाशन, रेशम संवर्धन से संबंधित अल्पकालीन/दीर्घकालीन प्रशिक्षण में  क एवं ख् क्षेत्र के प्रशिक्षणार्थियों के लिए विभिन्न विषयों पर हिन्दी में व्याख्यान, राजभाषा पत्रिका का  प्रकाशन, समय -समय पर  राजभाषा संगोष्ठी/ तकनीकी सेमिनार, राजभाषा अभिविन्यास कार्यक्रम एवं नियमित रूप से हिन्दी कार्यशाला एवं राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठकों का आयोजन आदि शामिल है | भारत सरकार की नीति, “प्रेरणा व प्रोत्साहन” के अंतर्गत कर्मचारियों के लिए  मूल रूप से हिन्दी में कामकाज हेतु संस्थान में नकद पुरस्कार योजना लागू की गई है | साथ ही उत्कृष्ट कार्य निष्पादन हेतु अनुभागों के बीच प्रतिस्पर्धा लाने के उद्देश्य से राजभाषा चलशील्ड-योजना की शुरुआत की गई है | अधीनस्थ /संबद्ध कार्यालयों के साथ  समन्वयन तथा  राजभाषा कार्यान्वयन हेतु उन्हें दिशा-निर्देश प्रदान करने के अलावा  संबद्ध केन्द्रों में हो रहे राजभाषा कार्यों का निरीक्षण एवं प्रत्येक तिमाही में  तिमाही प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा  आदि का कार्य भी नियमित रूप से किया जाता है |  संस्थान  के द्वारा राजभाषा के विभिन्न कार्यान्वयन बिन्दुओं पर कार्रवाई का ब्यौरा  निम्नवत है :- 
 
राजभाषा कक्ष की स्थापना :- वर्ष 1987 में पहली बार हिन्दी पदों पर नियुक्ति कर संस्थान में राजभाषा कक्ष की स्थापना की गई | इसके साथ ही संस्थान  में राजभाषा हिन्दी के सम्यक कार्यान्वयन का कार्य प्रारंभ हुआ | हिन्दी अधिकारी/ सहायक निदेशक/ उपनिदेशक (राजभाषा) सहित  अनुवादक एवं आशुलिपिक तथा लिपिक (हिन्दी) पद पर नियुक्ति के साथ राजभाषा कार्यान्वयन में क्षिप्र गति आई |
 
हिन्दी भाषा प्रशिक्षण :- राजभाषा विभाग, भारत सरकार के निदेशानुसार  हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान न रखने वाले केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिए सेवाकालीन हिन्दी प्रशिक्षण को अनिवार्य बनाया गया है | तदनुसार इस पर कार्रवाई करते हुए संस्थान के 98% पात्र वैज्ञानिकों/अधिकारियों/कर्मचारियों को हिन्दी भाषा प्रशिक्षण दिलाया जा चुका है | इस प्रकार संस्थान में हिन्दी भाषा प्रशिक्षण दिलाने का अधिकांश कार्य संपन्न कर लिया गया है | अब स्थानातरण पर आने वाले अथवा नव-नियुक्त वैज्ञानिकों/अधिकारियों/कर्मचारियों को मैसूर स्थित हिन्दी शिक्षण योजना केन्द्र में नामित कर प्रशिक्षण दिलाया जाता है | 
 
1. राजभाषा अधिनियम की धारा-3(3) का अनुपालन:  संस्थान में राजभाषा अधिनियम 1963 की धारा 3(3) के अधीन आने वाले सभी कागज़ात यथा सामान्य आदेश (परिपत्र,ज्ञापन,कार्यालय आदेश), सूचना, निविदा, करार, प्रेस-विज्ञप्ति आदि  द्विभाषी में जारी किए जाते हैं । 
 
2. नियम- 11 का अनुपालन : कार्यालय में प्रयोग में लाए जाने वाले सभी फार्म/प्रपत्र, पत्रशीर्ष, रबड़ की मोहरें, सूचनापट्ट, नामपट्ट, पहचान-पत्र  आदि द्विभाषी में तैयार किए गए हैं । इन्हें द्विभाषी रूप में तैयार कर जारी किया जाना सुनिश्चित करने हेतु भंडार अनुभाग, प्रेषण कक्ष और संबंधित अधिकारी के स्तर पर  जाँच - बिंदु बनाया गया है ।
 
3. हिंदी पत्राचार :  क, ख् एवं ग क्षेत्र में राजभाषा विभाग के द्वारा प्रत्येक वर्ष जारी वार्षिक कार्यक्रम में निहित लक्ष्य के अनुसार संस्थान में हिन्दी पत्राचार किया जाता है | वर्ष 2019-20 के दौरान क, ख तथा ग क्षेत्र  स्थित केंद्रीय/ राज्य  सरकार के  कार्यालयों को क्रमश: 70%, 72% और 77% पत्र  हिंदी / द्विभाषी में भेज कर हिन्दी पत्राचार का निर्धारित लक्ष्य प्राप्त किया गया ।वर्ष 2020-21 के  दौरान लक्ष्य प्राप्ति के प्रयास जारी  हैं |
 
4. राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठकों का आयोजन : संस्‍थान में निदेशक की अध्यक्षता  में आतंरिक राजभाषा कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया है जिसमें सभी प्रभागीय/ अनुभागीय प्रधानों को सदस्य नामित किया गया है | हर तिमाही में उक्त समिति की  बैठक का आयोजन कर प्रत्येक अनुभाग में हो रहे राजभाषा  कार्यों की प्रगति एवं कमियों की समीक्षा की जाती है | साथ ही राजभाषा के प्रगामी प्रयोग से संबंधित महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर निर्णय लेकर अनुवर्ती कार्रवाई की जाती है |
वर्ष 2019-20 के अंतर्गत अप्रैल-जून, जुलाई-सितम्बर, अक्टूबर-दिसंबर एवं जनवरी-मार्च तिमाही की बैठक क्रमशः दिनांक 09.05.2019, 26.08.2019, 05.11.2019 एवं 31.01.2020 को आयोजित की गई तथा बैठकों में लिए गए निर्णयों पर अनुवर्ती कार्रवाई सुनिश्चित की गई ।
 
5. हिंदी कार्यशालाओं का आयोजन : संस्थान के अधिकारियों/कर्मचारियों को सरकारी काम-काज में हिंदी का प्रयोग करने में व्याप्त झिझक को दूर करने एवं राजभाषा नीति की जानकारी देने के लिए प्रत्येक तिमाही में नियमित रूप से हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया जाता है । वैज्ञानिक, तकनीकी तथा प्रशासनिक संवर्ग के कर्मचारियों के लिए इस वर्ष के दौरान क्रमशः दिनांक 10.05.2019, 30.07.2019, 06.11.2019 और 24.01.2020 को एक दिवसीय पूर्णकालिक हिंदी कार्यशाला का आयोजन कर कुल 33 वैज्ञानिकों/अधिकारियों व 36 प्रशासनिक तथा तकनीकी कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया ।
 
6. हिंदी टिप्पण-आलेखन प्रोत्साहन योजना का कार्यान्वयन: संस्थान एवं इसके अधीनस्थ केंद्रों में कार्यरत अधिकारियों तथा कर्मचारियों को मूल रूप से हिंदी में काम – काज निष्पादन करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए के. रे. बो. की उदारीकृत टिप्पण- आलेखन प्रोत्साहन योजना कार्यान्वित किया गया है जिसके अंतर्गत निर्धारित शब्द लिखने पर प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं सांत्वना पुरस्कार के रूप में नकद राशि प्रदान  की  जाती है । वर्ष 2019-20 के दौरान इस योजना के अंतर्गत संस्थान तथा अधीनस्‍थ  कार्यालयों के 18 पदधारियों को पुरस्कृत किया  गया ।
 
7. हिंदी प्रकाशन: संस्थान के द्वारा प्रत्येक वर्ष विस्तार-कर्मियों, कृषकों, आगंतुकों, अध्येताओं/छात्रों आदि के लिए हिन्दी, अंग्रेजी एवं स्थानीय भाषा कन्नड़ में तकनीकी पुस्तक/पुस्तिका/पत्रक आदि का प्रकाशन किया जाता है | संस्थान द्वारा प्रकाशित हिन्दी वैज्ञानिक व तकनीकी पुस्तक/पुस्तिकाओं / पत्रकों  में कुछ महत्वपूर्ण निम्नवत हैं: यथा –
 
(1) शहतूत कृषि मार्गदर्शिका 
(2) शहतूती रेशम उत्पादन विकास – नई प्रोद्योगिकियों के साथ 
(3) शहतूती रेशम उत्पादन – एक पारि-अनुकूल प्रतिस्पर्धात्मक ग्रामीण उद्यम 
(4) कमर्शियल चाकी  कीटपालन
(5) टेक्नोलोजी डिस्क्रिपटर 
(6) अंकुर 
(7) सेरिफिट
(8) ट्रे धुलाई सह विसंक्रमण मशीन 
(9) डॉक्टर सॉइल
(10)  मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरक प्रबंधन
(11) “वानस्पतिक खाद और कृमि वानस्पतिक खाद का निर्माण
 
ज्ञातव्य है कि उपर्युक्त क्रमांक- 3 पर दर्शाये गए संस्थान द्वारा प्रकाशित पुस्तक  “शहतूती रेशम उत्पादन – एक पारि-अनुकूल प्रतिस्पर्धात्मक ग्रामीण उद्यम” को श्रेष्ठ वैज्ञानिक/तकनीकी पुस्तक लेखन के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है |
इन पुस्तक/पुस्तिकाओं में से कुछ प्रशिक्षण-सामग्री के तौर पर उपयोग में लाई जाती है | इस प्रकार प्रशिक्षण सामग्री को हिन्दी में भी प्रकाशित किया गया है |
इसके अलावा राजभाषा के प्रचार-प्रसार एवं विभागीय साहित्य को हिन्दी में उपलब्ध कराने तथा संस्थान एवं अधीनस्थ केन्द्रों में कार्यरत वैज्ञनिकों,अधिकारियों, कर्मचारियों में रचना-धर्मिता के विकास  की दृष्टि से  एक  अर्धवार्षिक राजभाषा गृह पत्रिका “रेशम किरण”  का नियमित रूप से प्रकाशन किया जाता है | अभी हाल में रेशम किरण के जून 2019 का प्रकाशन किया गया जबकि दिसंबर,19 अंक प्रकाशनार्थ प्रेस में है |
 
8. राजभाषा नियम 10(4) के अंतर्गत अधीनस्थ कार्यालयों को अधिसूचित किया जाना: जिन कार्यालयों में हिंदी में कार्यसाधक ज्ञान रखने वाले अधिकारी / कर्मचारी का प्रतिशत 80 या अधिक हो जाता है, उन कार्यालयों को मंत्रालय द्वारा राजभाषा नियम-10(4) के अधीन अधिसूचित किया जाता है ।  इस नियम के अंतर्गत अब तक संस्थान सहित कुल 7 संबद्ध कार्यालयों को अधिसूचित किया गया है |
 
9. हिंदी दिवस / पखवाड़ा का आयोजन : संस्थान में प्रत्येक वर्ष हिन्दी पखवाड़ा व हिन्दी दिवस का आयोजन किया जाता है | इस दौरान विभिन्न हिन्दी प्रतियोगिताओं एवं अन्य सुरुचिपूर्ण-कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है | वर्ष के दौरान मूल रूप से हिन्दी में काम-काज करने वाले कर्मचारियों को प्रोत्साहन-राशि का  भुगतान व प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाता है |  वर्ष 2019-20 के दौरान  दिनांक 01.09.2019 से 16.09.2019 तक संस्थान में  राजभाषा पखवाड़ा एवं दिनांक 16/09/2019 को हिन्दी दिवस मनाया गया । इस दौरान विभिन्न हिंदी प्रतियोगिताओं का आयोजन कर  प्रत्येक प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया ।  दिनांक 16.09.2019 को हिन्दी पखवाड़ा का मुख्य कार्यक्रम एवं हिन्दी दिवस पूर्ण उत्साह के साथ मनाया गया । कुल 41 प्रतिभागियों को हिन्दी दिवस के अवसर पर पुरस्कृत किया गया |
 
10. कंप्यूटर पर हिंदी में कार्य: महत्वपूर्ण मद जैसे धारा 3(3) का अनुपालन, फार्म/प्रपत्र,मानक मसौदे, तिमाही रिपोर्ट तथा मूल्यांकन रिपोर्ट, बैठकों की कार्रवाई, प्रशासनिक व तकनीकी पत्राचार संबंधी कार्य कंप्यूटर पर सुचारू रूप से हिन्दी में किए जा रहे हैं । संस्थान के  सभी कंप्यूटरों में यूनिकोड की संस्थापना की गई है जिससे हिंदी, अंग्रेजी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में काम करने में सुविधा प्राप्त हो गई है । वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों को समय-समय पर इंडिक टूल्स, यूनिकोड, हिन्दी में कम्पूटर पर श्रुतिलेख/ वाइस टाइपिंग आदि पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है | 
 
11. राजभाषा निरीक्षण : राजभाषा नीति के कार्यान्वयन में हुई प्रगति की समीक्षा करने तथा तदनुसार आवश्यक सुझाव एवं मार्गदर्शन देने हेतु अधीनस्थ कार्यालयों का निरीक्षण किया जाता है । संस्थान के अनुभागों के निरीक्षण हेतु 4 सदस्यीय राजभाषा निरीक्षण समिति का गठन किया गया है जो विभिन्न अनुभागों में जाकर राजभाषा कार्यों का निर्धारित पद्धति  से निरीक्षण करती है । पिछले वर्ष के दौरान संस्थान के कुल 8 अनुभागों- स्थापना, लेखा, पी. एम. सी. ई, भंडार , अनुरक्षण, वाहन, प्रशिक्षण, सीम प्रभाग में हो रहे राजभाषा कार्यों का निरीक्षण कर सुधारात्मक सुझाव दिए गए | इसके अलावा संबद्ध/अधीनस्थ केन्द्रों में क्षेरेअकें, अनंतपुर, शादनगर, अविकें, विकाराबाद, अमरावती एवं हासन का भी निरीक्षण किया गया |
 
12. हिन्दी पुस्तक : राजभाषा विभाग के निर्देशों के अनुसार हिन्दी के प्रति कर्मचारियों का रुझान उत्पन्न करने की दृष्टि से संस्थान में हिन्दी पुस्तकालय की स्थापना की गई है |  हिन्दी पुस्तकालय में हिन्दी की वैज्ञानिक /तकनीकी एवं सुरुचिपूर्ण साहित्यिक पुस्तकों एवं शब्दकोशों  का सुन्दर संकलन उपलब्ध है | इसके अतिरिक्त प्रति माह 7 हिन्दी- पत्रिकाओं तथा कुल 3 दैनिक समाचार पत्रों की खरीद की जाती है | पिछले वर्ष के दौरान कुल  रु. 7,327/- की हिन्दी पुस्तकों की खरीद हिन्दी पुस्तकालय के लिए की गई । इसके अलावा समय- समय पर हिन्दी में सरकारी कामकाज  करने हेतु सहायक सन्दर्भ पुस्तक/पुस्तिका आदि की भी खरीद कर उपयोगार्थ संस्थान के अनुभागों/ केन्द्रों में वितरण की जाती है | हाल में ही बृहत प्रशासनिक शब्दावली की 50 प्रतियां खरीदकर अधीनस्थ केन्द्रों एवं संस्थान के अनुभागों में वितरित की गई जबकि रेशम शब्दावली की सॉफ्ट- प्रति भी संस्थान के सभी अनुभागों एवं संबद्ध केन्द्रों को उपलब्ध कराई गई ।
 
13. तकनीकी  प्रशिक्षण में हिन्दी : राजभाषा नियमों के अनुसार विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों  में हिन्दी माध्यम से प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए | संस्थान में  मुख्यतः राज्य रेशम विभाग के कर्मियों, कृषकों, अध्येताओं/छात्रों आदि के लिए रेशम संवर्धन के विविध पहलुओं पर अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा अंतर-राष्ट्रीय प्रतिनिधियों/प्रशिक्षणार्थियों के लिए भी समय-समय पर  विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है | इनमें स्थानीय प्रतिभागियों के लिए आवश्यकतानुसार स्थानीय भाषा कन्नड़ तथा अंग्रेजी में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है जबकि क एवं ख् क्षेत्र के प्रशिक्षणार्थियों के लिए हिन्दी एवं द्विभाषी (हिन्दी-अंग्रेजी ) माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाता है | वर्ष 2019-20 के दौरान  दो राज्यों (महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश) से आए कुल 234 प्रशिक्षणार्थियों को रेशम संवर्धन के विविध विषयों पर कुल 17 विभिन्न पाँच - दिवसीय कार्यक्रम में  हिन्दी माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया गया। 
 
राजभाषा डेस्क प्रशिक्षण : पत्राचार करने वाले अनुभागों की सुविधा के लिए राजभाषा अनुभाग द्वारा विभिन्न अनुभागों में जाकर राजभाषा डेस्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है ताकि कर्मचारियों  को उनकी कार्य- प्रकृति के अनुसार हिन्दी  में टिप्पणी/आलेखन का ज्ञान दिया जा सके | इससे उन्हें सरकारी कामकाज हिन्दी में करने में मदद मिली है |
 
14. अधीनस्थ/संबद्ध केन्द्रों में राजभाषा कार्यान्वयन : संस्थान के सभी 30 अधीनस्थ इकाइयों में राजभाषा के विधिवत कार्यान्वयन को ध्यान  में रखकर प्रत्येक इकाई को समय-समय पर दिशा-निर्देश प्रदान किया जाता है | साथ ही इन केन्द्रों से प्रत्येक तिमाही में राजभाषा हिन्दी की तिमाही प्रगति रिपोर्ट प्राप्त कर उसकी समीक्षा की जाती है तथा कमियों को दूर करने हेतु सुझाव दिए जाते हैं |  
 
15. संयुक्त राजभाषा कार्यान्वयन समिति का गठन एवं उसकी बैठकें : अधीनस्थ/संबद्ध केन्द्रों में राजभाषा का कार्यान्वयन सुचारू रूप से हो, इसे ध्यान में रखते हुए संस्थान के स्तर पर संयुक्त राजभाषा कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया है | इस समिति के सदस्य इकाइयों के प्रधान/ प्रभारी होते हैं एवं संस्थान के निदेशक की अध्यक्षता  में बैठक का आयोजन किया जाता है | ये बैठकें अनुसंधान सलाहकार समिति/ विस्तार अधिकारियों की बैठक/ सी.पी.पी बैठक के साथ आयोजित की जाती हैं तथा इनमें  विभिन्न केन्द्रों में हो रहे राजभाषा कार्यों की समीक्षा की जाती है | साथ ही बेहतर एवं प्रभावी राजभाषा कार्यान्वयन के लिए सुझाव दिए जाते हैं | 
 
16. नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक : संस्थान नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति , मैसूर का सक्रिय सदस्य है | संस्थान के निदेशक स्वयं नराकास की बैठकों में उपनिदेशक(राजभाषा) के साथ भाग लेते हैं | इन बैठकों में लिए गए निर्णयों पर भी संस्थान के द्वारा अनुवर्ती कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है | इसके अलावा संस्थान के द्वारा नराकास के तत्वावधान में आयोजित सभी कार्यशालाओं/ विचार-गोष्ठियों/ सेमिनार के आयोजन/ संचालन/ व्याख्यान आदि  में  यथावश्यक संस्थान की ओर से पूरी सहायता की जाती है |
 
इस प्रकार संस्थान के द्वारा संघ  की राजभाषा नीति के प्रत्येक कार्यान्वयन बिंदु पर सम्यक व प्रभावी कार्रवाई की  जाती है जिससे सरकारी कामकाज में हिन्दी के प्रयोग में निरंतर वृद्धि हो रही है |