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रेशम उत्पादन अभियांत्रिकी प्रभाग

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अधिदेश:
 रेशम उत्पादन में सुनिश्चित यंत्रीकरण चालू करने तथा पोषी पादप एवं रेशमकीट फसल संरक्षण को समर्थन देने हेतु उपकरणों/उपस्करों/यंत्रों की संरचना करते हुए अभिनव कार्य करने/ सामग्रियों की अभिकल्पना करके विकसित करने हेतु कृषि इंजीनियरिंग क्षेत्र में अनुसंधान परियोजनाएँ/कार्यक्रम संचालित करना ताकि उत्पादन लागत, कडी मेहनत, कार्य समय एवं संसाधन उपयोग कम किए जा सके ।
 
वैज्ञानिक:
 नाम पदनाम
   
श्री जी आर वेंकट रेड्डी  सहायक कार्यपालक अभियंता
 
 

 रेशम उत्पादन में यंत्रीकरण-आवश्यकता एवं संभावना

आज निम्नलिखित कारणों से रेशम उत्पादन में यंत्रीकरण की आवश्यकता महसूस हुई है  ।
 
  क) श्रमिकों की कार्य क्षमता एवं उत्पादकता बढाना ।
  ख)  विभिन्न कार्यों के लिए अपेक्षित श्रमशक्ति कम करना ।
  ग)  विभिन्न कार्यकलापों पर खर्च कम करना ।
  घ)  रेशम उत्पादन से प्राप्त होने वाला लाभ बढाना।
  च)  विभिन्न रेशम उत्पादन कार्यकलापों को समय पर संचालित करना ।
  छ) कई रेशम उत्पादन कार्यकलापों में कडी मेहनत को कम करना ।
  ज) कृषकों को बडे पैमाने पर रेशम उत्पादन को अपनाने हेतु समर्थ करना ।

 

क) श्रमिकों की कार्य क्षमता एवं उत्पादकता बढाना । 
 
यंत्रीकरण श्रमिकों की कार्य क्षमता एवं उत्पादकता बढाने में सहायक होता है । निम्नलिखित सारणी कुछ रेशम उत्पादन कार्यकलापों में यंत्रीकरण द्वारा कृषकों की कार्यक्षमता में हुई वृद्धि एवं कार्य निष्पादन दर्शाती है ।
 
यंत्रीकरण द्वारा कृषकों की कार्यक्षमता में हुई वृद्धि
No. Activity/ Work Worker's Output Gain in work  through use of machine (B/A)
Manual (A) With Machine (B)
   
1. Land preparation 2,000 sqm/day 20,000 sqm/day 10 times
2. Mulberry cutting preparation 300 cuttings/h 1,200 cuttings/h 4 times
3. Shoot harvesting 200 kg/day 1200 kg/day 6 times
4. Intercultural operations 1,000sqm/day 20,000sqm/day 20 times
5. Leaf chopping 20 kg/h 200 kg/h 10 times
6. Matured silkworm picking 30 dfls/day 300 dfls/ 10 times
7. Cocoon harvesting 10 kg/h 50 kg/h 5 times
8. Cocoon deflossing 5 kg/h 50 kg/h 10 times
9. Tray washing 25 trays/h 100 trays/h 4 times
10. Cocoon cutting in grainages 250 cocoons/h 2,000 cocoons/h 80 times

 
ख) विभिन्न कार्य के लिए अपेक्षित श्रमशक्ति कम करना :
 
रेशम उत्पादन में, जो एक रेशम कोसा उत्पादन प्रक्रिया है,  कृषकों द्वारा बढाई गई शहतूत पत्तियाँ खाने वाले रेशमकीटों का पालन सम्मिलित है ।कई ज़मानों से इसे कठोर श्रम आवश्यक उद्योग माना जाता है । चित्र 1 एवं 2 शहतूत कृषि एवं रेशम कीटपालन के विभिन्न क्रिया कलापों के लिए अपेक्षित श्रम शक्ति की आवश्यकता दर्शाता है । 
 
 
चित्र 1 एवं 2 में से देखा जा सकता है कि एक साल में 1588 श्रम दिवस (शहतूत कृषि के लिए240और रेशम कीटपालन के लिए 395) अपेक्षित है। सामान्यत: कहा जा सकता है कि एक एकड शहतूत बागान का अनुरक्षण करने तथा उसमें से कीटपालन करने के लिए प्रति वर्ष दो श्रमिक अपेक्षित है ।भारत के दक्षिण राज्यों में वर्ष भर कीटपालन किया जाता है। रेशम उत्पादन श्रमिकों को लगातार रोज़गार प्रदान करता
है । श्रमिकों की उपलब्धता में कमी तथा श्रमिक प्रभार अधिक होने के कारण कृषकों को कठोर श्रम अपेक्षित कार्यों के लिए यंत्रीकरण पर निर्भर होना पडता है ।अत; कृषक वर्ग उचित एवं आवश्यक यंत्रीकरण के माध्यम से कोसा उत्पादन खर्च कम करने के अलावा श्रमशक्ति तथा श्रमिकों की मांग कम करते हुए श्रम समस्या कर सकते है ।.
 
 
 

 
 ग) विभिन्न कार्यकलापों पर खर्च कम करना :
 
रेशम कोसा उत्पादन में सम्मिलित विविध खर्च चित्र में दर्शाया गया  है। इसमें से देखा जा सकता है कि कुल रेशम उत्पादन का 59% शहतूत कृषि (22%) एवं रेशम कीटपालन(37%) के श्रम प्रभार लिए दर्ज किया गया है । आजकल शहतूत कृषि एवं रेशम कीटपालन और कीटपालन गृह, कीटपालन मंच, चंद्रिके आदि रेशमकीटपालन अवसंरचनाओं के निर्माण के लिए अपेक्षित निवेश की लागत  कृषकों के हाथ में नहीं है। अत: कृषकों को कोसा उत्पादन लागत कम करने हेतु विभिन्न श्रमसाध्य कार्य निपटाने हेतु उपकरणों एवं यंत्रों का उपयोग करना पडता है। सही यंत्रीकरण द्वारा विभिन्न रेशम उत्पादन कार्याकलापों पर बचत तालिका 2 में दर्शाया गया है ।
 
No. Activity / Unit Cost of operation (Rs.) Cost Saving (%)
[(A-B)/A]x100
Manual (A) Machine (B)
   
1 Land preparation (per ha) 3500 750 80
2 Cutting preparation (per 1000) 80 15 80
3 Intercultural operations (per ha) 2000 1200 40
4 Chemical application (per ha) 400 100 75
5 Shoot harvest (per MT) 500 125 75
6
Rearing house disinfection (per 300 dfls)
250
100
60
7
Leaf chopping (per day for 5000 dfls)
2000 200 90
8
Silkworm picking (per 100 dfls)
500 200 60
9
Cocoon harvesting (per 100 dfls)
600 150 75
10
Cocoon deflossing (per 100 dfls)
400 150 60
11 Tray washing (per 100 trays) 200 50 75

 
 घ) रेशम उत्पादन लाभ बढाना :
 
रेशम कोसा उत्पादन अत्यधिक लाभप्रद है । विगत कई सालों में नगरीकरण, औद्योगिकीकरण और निर्माण एवं सेवा क्षेत्रों में हुई बढोत्तरी  के कारण नगरों तथा शहरों में क्षेत्र श्रमिकों का पलायन हो जाने के परिणामस्वरूप निवेश लागत और श्रम मंज़ूरी में तेज वृद्धि होने की वजह से रेशम उत्पादन लाभ कम हुआ ।वर्तमान स्थिति में अन्य क्षेत्र फसलों की अपेक्षा रेशम कोसा उत्पादन उच्च आय देने वाला फसल है ।आज कल श्रम की कमी और बढता श्रम प्रभार रेशम उत्पादन उद्योग की मुख्य समस्या है ।
 
श्रमिकों को भाडे पर लेने के आधार पर विभिन्न कृषक वर्गों द्वारा रेशम कोसा उत्पादन से प्राप्त होने वाला आय और लाभ उक्त चित्र में दर्शाया गया है । इसमें से देखा जा सकता है कि जिन कृषकों के घर में विभिन्न कार्य करने हेतु पर्याप्त सदस्य है और श्रमिकों को भाडे पर नहीं लेना पडता है उन्हें रु 1,93,901/एकड/वर्ष का लाभ होगा ।सामान्यत: जिन कृषकों को 2 एकड तक शह्तूत बागान है, उन्हें इस वर्ग में रखा जा सकता है ।श्रमिकों को भाडे पर लेने से लाभ कम होता है।जिस कृषक का 50% कार्मिक पारिवारिक  सदस्य है और शेष50% कार्मिक को भाडे पर लिया जाता है उसका कुल आय एक एक्ड से रु.1,38,431 होगा ।जिन कृषकों को 2 एकड से  5 एकड तक शहतूत बागान है वे इस वर्ग में आता है ।चित्र 5 में बहुत रोचक बात दर्शाई गई है कि जिन  कृषकों के यहाँ श्रमिक के रूप में पारिवारिक सदस्य नहीं है और श्रमिकों से भाडे पर कराते हैं वे प्रतिवर्ष रु 80,000/एकड की आय प्राप्त कर सकते हैं ।5 एकड से अधिक शहतूत बागान  रखने वाले शहतूत कृषक इस वर्ग में आता है ।अधिकांश कृषक शिक्षित, रोज़गार और कई कार्यों में लगे हुए हैं ।वे श्रमिकों को भाडे पर लेने हेतु आर्थिक रूप से सक्षम है ।यह रेशम उत्पादन की शक्ति है और  इसी  कारण से की युवा लोग रेशम उत्पादन के प्रति आकर्षित होते हैं आगामी वर्षों में यह भारतीय रेशम उत्पादन के लिए आशा की किरण बन सकती है।  सही और आवश्यक यंत्रीकरण के माध्यम से  रेशम उत्पादन लाभ और स्थायिता बढाई जा सकती है ।निम्नलिखित कार्यों को अंशत: और पूर्णत:  यंत्रीकृत किया जा सकता है ।
 
1. नए शहतूत बागान के लिए भूमि की तैयारी
2. शहतूत कलमें तैयार करना 
3. अपतृण निकालना तथा अंतराकृषि संचालन
4. बूँद सिंचाई प्रणाली अपनाते हुए सिंचाई
5. पीडक एवं रोग नियंत्रण हेतु रसायनों का छिडकाव
6. उत्तरावस्था  रेशम कीटपालन हेतु शहतूत प्ररोह कटाई 
7. रेशमकीटपालन गृह विसंक्रमण एवं सफाई 
8. शिशु रेशम कीटपालन हेतु पत्ती कर्तन
9. परिपक्व रेशम कीटों का चयन
10. कोसा संग्रहण
11. कोसा फ्लॉस हटाना
 
उक्त चित्र दर्शाता है कि रेशम कोसा उत्पादन के विविध कार्यकलापों में समुचित यंत्रीकरण करने के माध्यम से रेशम उत्पादन से अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं। इसमें देखा जा सकता है कि शहतूत कृषि एवं रेशम कीटपालन के विविध कार्यों को निपटाने हेतु काफी पारिवारिक सदस्य होने पर एक साल प्रति एकड से  रु 1. 93लाख का उच्चतम लाभ प्राप्त होता है । जो कृषक  अंशत: या पूर्णत: श्रमिकों को भाडे पर लेते हैं अर्थात ट्राक्टर चालित उपस्करों द्वारा भूमि तैयारी, अंतराकृषि कार्य और बूँद सिंचाई, ब्रश कटर द्वरा प्ररोह कटाई और यंत्रों द्वारा कोसा फ्लॉस हटाना जैसे कार्यकलापों के लिए 75% कार्मिक होते हैं तथा 25%  कार्मिकों को भाडे  पर लेते हैं वे प्रति एकड से 1.66 लाख से रु 1.81 तक  आय प्राप्त कर सकते है । जो कृषक 50% कार्मिकों को भाडे पर लेते हैं उनका लाभ 21% होता है जैसाकि रु 1.38 लाख से 1.68 लाख तक आय प्राप्त होती है । जो कृषक विभिन्न कार्यों के लिए 75% या 100% श्रमिकों को लेता है उनका लाभ यथाक्रम 42% और 72% होता है ।यह रोचक तथ्य है कि अधिक कृषकों को भाडे पर लेने वालों के लिए यंत्रीकरण बहुत  उपयोगी होता है  ।बडे कृषक जो अधिकांश श्रमिकों को भाडे पर लेते हैं उन्हें यंत्रीकरण से अधिकतम लाभ प्राप्त होगा ।
 

 
 च) विभिन्न रेशम उत्पदन कार्यकलापों को समय पर निपटाना:
 

कई रेशम उत्पादन कार्यकलापों को समय पर निपटाना बहुत महत्वपूर्ण है ।समय पर अंतराकृषि कार्य,सिंचाई, रोग एवं पीडक नियंत्रण हेतु रसायनों का छिडकाव, शहतूत प्ररोहों की छंटाई एवं कटाई, पत्ती कटाई एवं शिशु रेशमकीटों को खिलाना, निर्मोक से बाहर निकलने वाले रेशमकीटों के लिए शय्या विसंक्रामकों का अनुप्रयोग करना, कोसा निर्मित करने हेतु रेशमकीटों को लेकर चंद्रिके पर चढाना, कोसों का संग्रहण और सफाई आदि का प्रभाव रेशमकीट कोसा फसल पर पडता है ।इन कार्यों को निपटाने हेतु बहुत श्रम शक्ति अपेक्षित है ।आजकल पर्याप्त संख्या में कुशल श्रमिकों को मिलने में कठिनाई हो रही है ।रेशम क्षेत्र के विभिन्न कार्यों को समय पर निपटाने हेतु यंत्रीकरण एक अच्छा विकल्प है । 

 

 
छ)विभिन्न रेशम उत्पादन कार्यों की कडी मज़दूरी कम करना:
 

अधिकतर रेशम उत्पादन कार्य के लिए बहुत श्रम अपेक्षित है ।श्रमिकों को कम मज़ूरी में दलदल में, कम रोशनी में धूल भरे और रोगणुओं से युक्त वातावरण में लंबे  समय तक काम करना पडता है । यंत्रीकरण रेशम उत्पादन के शहतूत बागानों में अंतराकृषि कार्य एवं प्ररोह कटाई,  रेशम कीटपालनगृहों का विसंक्रमण' चाकी कीटपालन में पत्ती कर्तन, परिपक्व कीटों का चयन, कोसा संग्रहण, कोसा फ्लोस हटाना और सफाई जैसे विभिन्न कार्यों में कृषकों की मदद करता है ।

 

 

 

 

 

 
ज) रेशम उत्पादन को व्यापक तौर पर अपनाने हेतु कृषकों को समर्थ बनाना:
 

यंत्रीकरण बडे पैमाने पर रेशम कीटपालन करने हेतु कृषकों को सक्षम बनाता है ।यंत्रों के सहारे विस्तृत क्षेत्र में शहतूत कृषि की जा सकती है और एक ही समय अधिक रेशम कीटपालन कर सकते हैं। यंत्रीकृत रेशम उत्पादन कम लागत में अच्छी गुणवत्तावाले कोसा उत्पादित कर सकते हैं ।