यंत्रीकरण
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शहतूत रेशम उत्पादन में यंत्रीकरण हेतु तकनीक एवं प्रौद्योगिकियाँ
शहतूत रेशम उत्पादन में रेशम कोसा उत्पादित करने हेतु शहतूत कृषि एवं रेशम कीटपालन सम्मिलित है ।कें रे अ प्र मैसूरु विगत 20 वर्षों से कार्य कर रहे हैं और रेशम उत्पादन के विभिन्न कार्य कलापों में यंत्रीकरण लागू करने हेतु कई प्रौद्योगिकियाँ, शहतूत रोपण विधियाँ, उपस्कर और यंत्र विकसित किए हैं और उन्हें निम्नानुसार विस्तृत किया है ।
शहतूत कृषि में यंत्रीकरण हेतु प्रौद्योगिकियाँ:
रेशम उत्पादन में शहतूत कृषि अति महत्वपूर्ण है ।गुणवत्तावाली शहतूत पत्तियों से गुणवत्तावाले और रेशम समृद्ध कोसे प्राप्त होते हैं ।हाल में श्रम प्रभार में हुई बढोत्तरी एवं उर्वरक एवं पानी जैसे निवेशों की लागत में हुई वृद्धि के कारण शहतूत पत्तियों की उत्पादन लागत बढ गई । रेशम कोसों की उत्पादन लागत का लगभग 60-70% शहतूत पत्तियों के उत्पादन में लग जाता है ।शहतूत पत्ती उत्पादन का 65-70% खर्च अंतरा कृषि एवं अन्य प्रचालन कार्यों के श्रम प्रभार में चला जाता
है ।अत: रेशम कोसों की उत्पादन लागत कम करने हेतु हमें शहतूत पत्तियों की उत्पादन लागत कम करना है । भूमि एवं कलमें तैयार करने, अंतरा कृषि कार्य करने,रासायनिकों का छिडकाव, प्ररोह कटाई आदि हेतु उपकरणों, उपस्करों और यंत्रों को अपनाकर समुचित यंत्रीकरण किए जाने पर शहतूत पत्ती उत्पादन लागत कम से कम 35-40% कम की जा सकती है ।अत: अधिकांश शहतूत कृषि कार्यों में उचित यंत्रीकरण के माध्यम से रेशम कोसा उत्पादन लागत कम की जा सकती है । ये ही नहीं यंत्रीकृत शहतूत कृषि द्वारा कृषक अपना शहतूत कृषि क्षेत्र विकसित कर सकते हैं ताकि वे अधिक रेशमकीटों का पालन कर सकते हैं । यंत्रीकरण करने पर कृषक रेशम उत्पादन से अधिक धन प्राप्त कर सकते हैं ।भारत को भी आयातित रेशम पर निर्भर किए बिना गुणवत्तावाला रेशम प्राप्त होगा ।
(a) नए शहतूत बागान के लिए भूमि की तैयारी : |
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उष्णकटिबंधीय स्थितियों में शहतूत एक बहुवर्षीय फसल है । एक बार लगाने पर 12-15 वर्षों तक जीवित रहता है ।अत: पौधारोपण के पहले भूमि की खूब तैयारी की जानी है ।ट्राक्टर चालित सबसोइलर (अवमृदा जुताई यंत्र) बहुत उपयोगी है और कठोर मिट्टी को तोडने और 40-45 से मी तक मृदा को ढीला करने हेतु यह एक प्रभावी उपस्कर है । सब सोइलर फसल काटने तथा मृदा में वर्षा जल संरक्षण करने में सहायक होता है ।विद्यमान शहतूत बागानों में भी सबसोइलर उपयोगी है जैसाकि यह मृदा को ढीला करता है, कठोर मिट्टी को तोडता है, निस्यंदन दर और जल धारण क्षमता बढाती है, गोबरखाद और उर्वरक को मूल क्षेत्र तक पहुँचाता है ।
ट्राक्टर चालित मोल्ड बोर्ड या डिस्क हल, कल्टिवैटर और हैरो का उपयोग करते हुए नए शहतूत बागानों के लिए कम लागत में अति शीघ्र भूमि तैयार की जा सकती है ।अच्छी तरह भूमि तैयार करने पर शहतूत पौधों को तेजी से लगा सकते हैं ।
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(b) शहतूत कलमों की तैयारी : |
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शहतूत पौधों को कलमों द्वारा प्रवर्द्धित किया जाता है ।अधिकांश कृषक कलमें तैयार करने हेतु बिल हुक का उपयोग करते हैं । एक श्रमिक प्रति दिन 1500 से 2000 तक की कलमें तैयार करता है । केंरेअप्रसं, मैसूरु द्वारा विकसित शहतूत कलम कर्तन मशीन की सहायता से एक घंटे में 1400 से 1500 तक कलमें तैयार की जा सकती है ।मशीन कलमों की तैयारी में होने वाला कठोर श्रम कम करती है ।
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(C) शहतूत बागान एवं अंतराकृषि कार्य: | ||||||||||||||||||||||||||||||
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शहतूत बागान में अंतराकृषि संवर्धन हेतु अधिक मेहनत और मानवशक्ति अपिक्षित है । 90से मी x 90 से मी (3"x 3”) के परंपरागत बागानों में यंत्रों का उपयोग करना संभव नहीं है और हाथ से अंतराकृषि कार्य करना पडता है । इसकी लागत बहुत अधिक होती है और काम निपटाने में अधिक समय लगता है ।
केंरेअप्रसं, मैसूरु ने आंशिक एवं पूर्ण यंत्रीकृत कार्यों के लिए यथाक्रम युग्म पंक्ति (90से मी+150 से मी)× 60)एवं 3 एम{(120 से मी+90से मी+90से मी)×(120 से मी+90से मी+90से मी)}बागान ज्यामिति विकसित की है ।
Paired row plantation
3M plantation एक कृषक ट्रैक्टर चालित कल्टिवैटर, विद्युत चालित रोटोवैटर या कल्टिवैटर के सहारे युग्म पंक्ति या 3 एम शहतूत बागानों में अंतराकृषि कार्य कर सकते है ।यंत्रीकृत कृषि से पत्ती उत्पादन लागत कम होती है और कार्य को शीघ्र निपटाने की सुविधा होती हैं ।युग्म पंक्ति और 3 एम बागान कृषकों को बडे बागानों की तरफ मुडने को प्रेरित करते हैं ताकि वे अधिक से अधिक रेशमकीटपालन कर सकते हैं और रेशम उत्पादन से प्राप्त आय बढा सकते हैं ।कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महारष्ट्र और मध्यप्रदेश राज्यों के अधिकांश कृषकों द्वारा युग्म पंक्ति शहतूत बागान अपनाया गया है ।
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(d) शहतूत बागान में रसायनों का छिडकाव: | ||||||||||||||||||||||||||||||
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फसल नष्ट करने वाले कई पीडकों और रोगों के कारण पत्तियों की गुणवत्ता में कमी आती है ।रोगों और पीडकों का समय पर नियंत्रण करना स्वस्थ शहतूत पत्तियों के उत्पादन के लिए अत्यावश्यक है ।कई कृषक पत्ती गुणवत्ता बढाने हेतु वृद्धि कारकों का उपयोग करते हैं । सामान्यत: कृषक लोग रासायनिकों के अनुप्रयोग के लिए क्नैपसैक हस्तचालित या यंत्रीकृत फुहारकों का उपयोग करते हैं ।कृषक लोग स्व चालित सी एस आर टी स्प्रेयर, टी एन ए यू पवर टिल्लर में लगाए स्प्रेयर और ए एस पी ई ई ट्रैक्टर पर लगाए स्प्रेयर के सहारे कम समय में रसायनों का एकसमान अनुप्रयोग कर सकते हैं ।
Different equipment and machines for chemical applications in mulberry gardens
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(e) शहतूत प्ररोह कटाई:: |
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आज कल दक्षिण भारत, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में प्ररोह कीटपालन बहुत लोकप्रिय हो गया है जैसाकि यह समय, श्रम और खर्च बचाता है ।व्यापक रेशम कीटपालन को सुसाध्य बनाता है ।भारतीय कृषक परंपरागत शहतूत प्ररोहों को काटने हेतु परंपरागत हंसिया, सेरेटेड हंसिया, छंटाई आरी का उपयोग करते हैं ।केंरेअप्रसं, मैसूरु ने शहतूत प्ररोहों को काटने हेतु क्नैप्सैक प्रकार के बुश कटरों का परेक्षण किया है । एक घंटे में लगभग 600-800 कि ग्रा प्ररोहों को काट सकते हैं ।संस्थान ने मध्यम और बडे फार्मों के लिए पवर टिल्लर चालित प्ररोह कटाई विकसित की है ।यह युग्म पंक्ति बागान में ठीक तरह काम करता है और प्रति घंटे 1000-1200 कि ग्रा प्ररोहों को काटते हैं ।
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