किसी भी उद्योग के सतत विकास के लिए प्रशिक्षित पेशेवरों की निरंतर उपलब्धता अतिमहत्वपूर्ण है । रेशम उत्पादन में मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में केंरेअप्रसं की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है । केंरेअप्रसं, मैसूरु ने भारत विशेषकर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में स्थित अन्य देशों में रेशम उत्पादन में प्रशिक्षण द्वारा मानव संसाधन का विकास प्रारंभ किया । इन प्रयासों के परिणाम स्वरूप इन्डो – स्वीस तकनीकी सहयोग के अंतर्गत 1980 में उष्णकटिबंधीय रेशम उत्पादन में प्रशिक्षण एवं अनुसंधान हेतु एक अन्तर्रार्ष्ट्रीय केन्द्र (आईसीटीआरईटीएस) की स्थापना से हुई । इससे भारतीय उष्णकटिबंधीय रेशम उत्पादन प्रौद्योगिकी का अन्य विकासशील देशों में विकास एवं व्यापक प्रसार हुआ है और इस प्रकार विकासशील दुनिया की विभिन्न चुनौतियों का सामना करने हेतु पर्याप्त मानव-श्रम सृजन के साथ भारत और अन्य देशों के बीच सहयोग भी स्थापित हुआ ।
यह संस्थान भारत सरकार के विभिन्न सरकारी संस्थाओं यथा - विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डी.एस.टी) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डी.बी.टी.) के सहयोग से विभिन्न लक्ष्य समूहों के लिए अनेक मानव संसाधन विकास कार्यक्रमों का भी आयोजन करता है । जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने महिला रेशम उत्पादकों का ज्ञान अद्यतन करने और कौशल विकासित करने हेतु विशिष्ट रूप से महिलाओं के लिए एक सेरी टेक्नालॉजी कंप्लेक्स की स्थापना में आर्थिक सहयोग दिया है । इस कार्यक्रम के अंतर्गत महिला प्रतिभागियों को शहतूत रेशम उत्पादन के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलूओं यथा पर्यावरण अनुकूल विधियों द्वारा शहतूत में एकीकृत पोषण एवं रोग प्रबंधन, चॉकी कीटपालन, संयुक्त रेशमकीट पालन, रेशमकीट में एकीकृत पीड़क एवं रोग प्रबंधन, रेशमकीट बीज उत्पादन, रेशम उत्पादित उद्योग के उपोत्पाद द्वारा मूल्यवर्धन और श्रम दक्ष औजार यंत्रों द्वारा मानव श्रम में कमी आदि पहलुओं पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाता है । विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने महिला रेशम उत्पादकों की रेशम संबंधी गतिविधियों में एकरसता खत्म करने के लिए मशीनों का प्रयोग, हस्तचालित औजार आदि के लिए भी सहायता प्रदान किया है । महिलाओं के लिए ये कार्यक्रम पूरी तरह से प्रायोजित होते हैं और प्रतिभागियों को नि:शुल्क आवास एवं भोजन मुहैया कराया जाता है और प्रशिक्षण शुल्क में छूट दी जाती है ।
विदेशी प्रशिक्षणार्थियों को विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के अंतर्गत यथा भारतीय प्रौद्योगिकी एवं आर्थिक सहयोग (आईटेक), विशेष कामनवेल्थ अफ्रिकन सहायता योजना (स्कैप), कोलंबो योजना, भारतीय सांस्कृतिक सम्बध परिषद (आई.सी.सी.आर.) आदि द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है । केंरेअप्रसं, मैसूरु रेशम उद्योग की सहायता हेतु सक्षम तकनीकी और विस्तार कार्मिकों की कार्य कुशलता विकसित करने के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण का आयोजन करता है । निरंतर शिक्षण कार्यक्रमों और प्रशिक्षण प्रणाली एवं प्रशिक्षण के ज्ञान को अद्यतन बनाए रखने हेतु यह संस्थागत मजबूती को बढ़ावा प्रदान करता है । यह आवश्यकतापरक औपचरिक और कार्यक्रमों की रूप - रेखा को तैयार कर उनका कार्यान्वयन करता है । ये कार्यक्रम लाभार्थियों की विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान रखकर विशेष रूप से बनाए जाते हैं ।
प्रशिक्षण सुविधाएँ : प्रशिक्षण प्रभाग सभी आवश्यक आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है और यहाँ विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों हेतु कुशल एवं सक्षम वैज्ञानिक सह संकाय सदस्यों की टीम उपलब्ध है । यहाँ सुसज्जित सम्मेलन कक्ष, व्याख्यान कक्षा, नवीनतम दृश्य - श्रव्य उपकरण एवं इंटरनेट के साथ कंप्यूटर लेन-युक्त है । साथ ही रेशमकीटपालन गृह और शहतूत बागान आदि उपलब्ध हैं ।
छात्रावास सुविधाएँ :- केंरेअप्रसं, मैसूर के पास ठहरने के लिए अच्छी छात्रावास सुविधा उपलब्ध है । महिलाओं एवं पुरुष के लिए अलग से छात्रावास की सुविधा है जिसमें 150 लोग एक साथ ठहर सकते हैं । इन छात्रावासों में सुसज्जित कमरे, भोजन - कक्ष एवं रसोई और आगतुंक कक्ष आदि शामिल हैं । प्रशिक्षणार्थियों और विद्यार्थियों के कल्याण के लिए अनेक सुविधाएं यथा चिकित्सा सेवा, यातायात, संचार आदि उपलब्ध है । रेशम उत्पादन से जुड़े प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की सांचना, विकास एवं आयोजन में गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली हेतु प्रशिक्षण अनुभाग को वर्ष 2005 से आईएसओ 9001-2008 प्रमाणीकरण प्रदान किया गया है । रेशम उत्पादन के प्रशिक्षण में सुव्यवस्थित दृष्टिकोण और कार्यों के लिए भारत का पहला आईएसओ 9001 प्रमाणित संस्थान बन गया है ।
प्रशिक्षण कार्यक्रमों का लक्ष्य :- इसका उद्देश्य कार्मिकों एवं किसानों को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण देना है ताकि प्रभावी सेवा प्रदान की जा सके । केंरेअप्रसं, पूर्व कोसा क्षेत्र में विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण देता है । इस संस्थान ने प्रशिक्षण कार्यक्रमों को छ: खंडों में बाँटा है ।