Send by emailPDF versionPrint this page
अनुसंधान एवं विकास का प्रभाव

Limited Edition Converse High Tops Converse Limited Edition Shoes Malaysia 1CK5731 Converse Disney Crossover Centennial Limited Limited Edition Converse High Tops Converse Limited Edition Shoes Malaysia 1CK5731 Converse Disney Crossover Centennial Limited
Maroon Aj4 For Sale Air Jordan 4 NRG Hot Punch Maroon Aj4 For Sale Air Jordan 4 NRG Hot Punch
भारत की ग्रामीण जनता की अर्थव्यवस्था को निर्धारित करने  में रेशम उत्पादन की भूमिका महत्वपूर्ण  है ।यद्यपि रेशम उत्पादन की देन उतना अधिक नहीं है फिर भी कृषकों की सामाजिक आर्थिक स्थिति को सुधारने में यह निर्णायक  है ।परिणामस्वरूप  रेशम उत्पादन की  क्षमता को बढाने के उद्देश्य से किया जाने वाला कोई भी अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम  निम्नलिखित के लिए सहायक होगा । 
 
            1. ग्रामीण रोज़गार ।
            2. जलवायु को क्षति पहूँचाए बिना कृषकों का आर्थिक सामाजिक विकास  ।
            3. विदेश विनिमय ।
 
रेशम उत्पादन  विकास में होने वाली बाधाएँ भारत के रेशम उत्पादकों के लिए भी खतरनाक होगा । यह आशाजनक है कि प्रौद्योगिकी  इन बाधाओं को दूर करते हुए सकारात्मक परिणाम देने में सहायक हुआ । संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों को कृषकों के बीच लोकप्रिय बनाया गया और अधिक उपज और आय प्रदान करते हुए उद्योग की वृद्धि की ।केंरेबो और राज्य रेशम उत्पादन विभाग द्वारा किए गए लगातार प्रयास के कारण रेशम उत्पादन और गुणवत्ता में बढोत्तरी  हुई ।
 
वार्षिक कच्चा रेशम उत्पादन 23,060 मी ट (2011-12) तक बढ गया, जिसमें 18,277 मी ट शहतूत रेशम, 1590 मी ट तसर रेशम, 3,072 मी ट एरी रेशम और 126 मी ट मूगा रेशम सम्मिलित है ।  
रेशम उत्पादन अनुसंधान एवं विकास से जुडे हुए वैज्ञानिक अभिनवकरण और नई प्रौद्योगिकियाँ विकसित करके  अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुरूप रेशम तंतुओं की गुणवत्ता बढाते हुए रेशम उत्पादन के मुख्य क्षेत्रों यथा रेशमकीट एवं पोषी पादप सुधार, पीडक एवं रोग प्रबंधन में और उत्पादन लागत कम करने में प्रयासरत है ।
 
केंरेबो भी अपनी तकनीकी विशेषताओं का विशेष क्षेत्रों में उपयोग करने हेतु और रेशम उत्पादन अनुसंधान के अग्रणी क्षेत्रों में नई प्रौद्योगिकियों के लिए संसाधन जुटाने हेतु राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय एजेनसियों  और विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग कर रहे हैं ।
 
पिछले कई दशकों में रेशम उद्योग उत्पादकता एवं उत्पादों की गुणवत्ता में अच्छी प्रगति हुई ।
अंतर्राष्ट्रीय कोटि का रेशम उत्पादित करने की भारत की क्षमता बढाने के साथ साथ रेशम की दृष्टि में शहतूत बागान की उत्पादकता 86 कि.ग्रा हेक्टेयर तक पहुँचा जो 40 कि ग्रा प्रति हेक्टेयर से कम हुआ करता था ।समुचित कृषि एवं कीटपालन पद्धतियों को अपनाकर वी1, एस1635, एस1,एस 799,एस13,एस34, एस146, बीसी 259 जैसी उच्च उत्पादक शहतूत प्रजातियाँ विकसित  करने पर संभव हुआ ।उन्नत प्रसाधन यंत्र सामग्रियों और पद्धतियों  के कारण अंतर्राष्ट्रीय कोटि का रेशम उत्पादित करने में सक्षम हुआ ।